अंक 9 : सामुदायिक रेडियो की दीवानगी
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पॉडभारती के नवें अंक में आप सुन सकते हैं
- भारत में सामुदायिक यानि कम्यूनिटी रेडियो व कैंपस रेडियो परिदृश्य पर एक रपट,
- लोकप्रिय पॉडकास्टर उन्मुक्त का एमपी-3 की बजाय ओग फार्मेट से लगाव के कारणों का खुलासा और,
- उभरते गायक और भाईबहन की जोड़ी “खुशी और नौज़ाद” के एल्बम “अमेरिका में इंडिया” से एक मधुर गीत
इस अंक में उल्लेखित कड़ियाँ और अधिक जानकारीः
- सीआर इंडिया: सामुदायिक रेडियो विषय पर चर्चा करती सराय की एक मेलिंग लिस्ट
- अन्ना एफएम: देश के पहले कैंपस रेडियो स्टेशन का जालस्थल
- गुड मॉssssssर्निंssssssग भारत : “चाहे वह सुदूर सरगुजा का आदिवासी किसान हो या रायपुर का रिक्शा चालक, दोनों के पास उनकी गरीबी के अलावा कोई और चीज सामान्य है, तो वह है उनका ट्रांजिस्टर।” सामुदायिक रेडियो के उद्भव पर शुभ्रांशु चौधरी की रोचक रपट।
- रेडियो पर इंटरनेट: अब इंटरनेट दूर दराज़ के लोगों तक रेडियो के ज़रिए भी पहुंच रहा है। बीबीसी पर रपट।
- एल्बम “अमेरिका में इंडिया”: “खुशी और नौज़ाद” के इस अल्बम, जिस पर वे अमरीकी देसियों के लिये बने पहला पॉप अल्बम होने का दावा करते हैं, को तरकश इंटरटेन्मेंट से मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं।
Comments from the old blog
ऋचा जोशी, Nov 6th, 2008
आपका अंक बेहद अच्छा लगा। कम्युनिटी रेडियो की जानकारी और बेहद प्रभावशाली तरीके से दी है। मेरठ में भी एक शिक्षण संस्थान ने कम्युनिटी रेडियो की शुरुआत की है लेकिन कभी उसे सुनने पर उपयोगी जानकारी नहीं मिलती, सिर्फ फिल्मी गाने बजते रहते हैं। शायद वह भी पायरेटेड। कभी किसी स्थानीय प्रतिभाओं का कोई कार्यक्रम नहीं। कोई सामाजिक जानकारी नहीं। मेरा मानना है कि अगर कम्युनिटी रेडियो के कंटेंट को सही दिशा में नियंत्रित नहीं किया गया तो ये आंदोलन अपने उद्देश्य से भटक जाएगा। आपसे गुजारिश है कि आप अगले अंकों में कम्युनिटी रेडियो की और अधिक जानकारीं दें और समझाएं कि कंटेंट कैसे तैयार किया जाए। ये भी जानकारी दें कि कैसे और कितनी लागत में कम्युनिटी रेडियो शुरू किया जा सकता है।
सृजन शिल्पी, Nov 9th, 2008
बेहतरीन अंक। उपयोगी जानकारी से पूर्ण सामग्री प्रस्तुत की गई है।