अंक 2 : मातृत्व दिवस विशेष

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हमारे समाज में मां को एक देवी का दर्जा मिला हुआ है और इसी की बदौलत मातृत्व को संसार का सबसे बड़ा सुख माना जाता है। मगर दु:ख कि बात यह है कि हर मां इतनी खुशकिस्मत नहीं। इस दुनिया में कुछ मांएं ऐसी भी हैं जिन्हें न तो देवी माना जाता है और न ही उनका मातृत्व सुख का कारण है। जी हां, हम उन्हीं औरतों की बात कर रहे हैं जिन्हें ये समाज वेश्यायें, रंडी, तवायफ और न जाने किन-किन नामों से पकारता है, उनके मातृत्व को पाप और कलंक कहता है। ऐसी ही कुछ मांओं से कीजिये मुलाकात और जानिये उनके बच्चों और उनके सपनों को पॉडभारती के इस मदर्स डे विशेषांक में। कार्यक्रम की परिकल्पना व संचालन किया है शशि सिंह ने। इस मार्मिक पॉडकास्ट को आप कभी भूल न पायेंगे, हमारा वादा है।

In the Indian society, mothers are revered as goddesses, and motherhood is considered the greatest joy in the world. However, not all mothers are so fortunate. There are some mothers who are neither regarded as goddesses nor is their motherhood a source of joy. Indeed, we are talking about those women whom society labels as prostitutes and sex-workers, considering their motherhood as sin and stigma. Meet some of these mothers and learn about their children and their dreams in Podbharti’s special Mother’s Day edition. The program is conceived and hosted by Shashi Singh. We promise that this poignant podcast will leave a lasting impression on you.

Comments from the old blog

समीर लाल May 13th, 2007

बहुत ही जबरदस्त और मार्मिक-एक चुनिंदा प्रोफेशनल पेशकश. ग्रिजेश का गीत सुनकर आँखें नम हो गई. सहज होने का प्रयास अब तक जारी है. समाज के जिस तबके की बात आप लेकर आये हैं, आपका वादा बिल्कुल सच निकला- हम इस मार्मिक पॉडकास्ट को कभी भुल न पायेंगे.

बहुत बधाई. ऐसे ही अनेंकों अंकों का इन्तजार है. समस्त पॉडभारती टीम को नमन, साधुवाद और शुभकामनाऐं.

Kakesh May 14th, 2007

अच्छी प्रस्तुति रही.

पंकज बेंगानी May 14th, 2007

बहुत ही उम्दा. शानदार प्रस्तुतिकरण और शोध. शशिजी बहुत बधाई आपको.

Ajay Brahmatmaj May 14th, 2007

Takniki barikiyan kaam karte-karte aayengi.sundar pryas hai.ise kitabi aur hindi magzune ki style se door rakhen sound par jyada kaam karna hoga. Badhai.

रचना May 14th, 2007

उम्दा प्रस्तुति!!! बच्चो को शुभकामनाएं..

Chetna Sungh May 14th, 2007

Hi shashi Bhaiya , Matri divas per aapka yeh prastutitikaran ham logo ko bahut pasand aaya, visheshroop se esmein jo geet ka prayog kiya gaya hai, bahut hi achchha hai.

Tarun May 15th, 2007

Bahut sahi shashi, archie cards ki sanskriti se bahut juda.

अनूप शुक्ल May 16th, 2007

सच में यह अविस्मरणीय है!

Vijendra May 17th, 2007

Its too good, but I can’t hear it whole…

नीरज दीवान May 17th, 2007

मातृदिवस पर समाज की तिरस्कृत मांओं को आपने याद किया. क्या इतना इंतज़ार करना होगा पॉडभारतीय के अंक का? अंतराल कम करें.

Ratna May 21st, 2007

बेहद मार्मिक, खूबसूरत और प्रशंसनीय प्रयास।

Sanjay Patel May 22nd, 2007

मेरी आंखों की कुछ बूंदें इस डिस्पेच पर … मेरी श्रीमती ये प्रतिक्रिया लिखते वक्त पास बैठी हैं…लिखवाती हैं…आज़ादी के इतने साल बाद भी यदि हम मां को इतना बेबस देख रहे हैं तो मातृ आराधना के सारे पर्व,पूजा,अनुष्ठान बेमानी हैं.